लोगों की राय

उपन्यास >> बेनीमाधो तिवारी की पतोह

बेनीमाधो तिवारी की पतोह

मधुकर सिंह

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :90
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7722
आईएसबीएन :9788126318704

Like this Hindi book 10 पाठकों को प्रिय

41 पाठक हैं

एक स्त्री के आत्मजागरण और उसके द्वारा गाँव के परिवेश को बदलने के उत्कट प्रयासों की कहानी...

Benimadho Tiwari Ki Patoh - A Hindi Book - by Madhukar Singh

मधुकर सिंह हिन्दी के वरिष्ठ लेखक हैं। उनकी कथा-रचनाओं में बिहार एक सामान्य पृष्ठभूमि की तरह होता है और समस्याएँ वही होती हैं जो लगभग पूरे भारतीय समाज में व्याप्त हैं। मधुकर सिंह ने सामान्य जन के संघर्ष में भारतीय समाज के परिवर्तनों को लक्षित किया है यह बड़ी बात है।

‘बेनीमाधो तिवारी की पतोह’ उपन्यासिका एक स्त्री के आत्मजागरण और उसके द्वारा गाँव के परिवेश को बदलने के उत्कट प्रयासों की कहानी है। ‘बेनीमाधो तिवारी की पतोह’ उपन्यासिका के केन्द्र में एक रूढ़िवादी परिवार है। इस परिवार की पतोह, जो कि युवा विधवा है, कुछ परिवर्तनकामी शक्तियों से जुड़कर सामन्ती ताकतों का सामना करती है। एक तरह से वह भविष्य का नेतृत्व करती है। वरिष्ठ कथाकार मधुकर सिंह ने अपनी परिचित शैली में इस उपन्यासिका को ‘स्त्री अस्मिता विमर्श’ का दर्पण बना दिया है।

मधुकर सिंह


जन्म : 2 जनवरी, 1934, बिहार के ग्रामीण अंचल में।

प्रमुख कृतियाँ : ‘पूरा सन्नाटा’, ‘भाई का जख्म’, ‘अगनुकापड़’, ‘पहला पाठ’, ‘माई’ (कहानी संग्रह); ‘सबसे बड़ा छल’, ‘सोनभद्र की राधा’, ‘सीताराम नमस्कार’, ‘सहदेव नाम का इस्तीफा’, ‘जंगली सूअर’, ‘मनबोध बाबू’, ‘बेमतलब बदनाम ज़िन्दगियाँ’, ‘उत्तरगाथा’, ‘आगिन देवी’ (उपन्यास) आदि।
अनेक प्रतिष्ठित सम्मान व पुरस्कार प्राप्त।


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book